गुरुवार, 13 अप्रैल 2017

  जयपुर में हुई मेरी भेट मिस्र के राजघराने के पुजारी परिवार की महिला तुतु  से    (जो कि 322 से 30 ईस्वी पूर्व के टौलोमाइक युग की रहने वाली थी )

देवेन्द्र कुमार शर्मा  ,113 ,सुंदरनगर रायपुर छत्तीसगढ़ 

(राजस्थान की राजधानी जयपुर के अल्बर्ट म्यूजियम में यहां 130 साल से रखी है डेडबॉडी,  रहस्यमयी है इसकी कहानी)


वर्ष 2001 की बात है जब मुझे छत्तीसगढ़ सरकार के लिए दिल्ली के एक उद्योगपति से मिलकर जो की तत्कालीन मुख्यमंत्री जी के मित्र थे ,से एक समिति में सदस्य मनोनीत होने के लिए सहमती पत्र प्राप्त करने के लिए भेजा गया था , मै अपने साथ विभागीय और एक अधिकारी को भी ले गया . हमारा काम पहुचने के दिन ही पूरा हो गया था ,अब हमने वापस जाने को ट्रेन का रिजर्वेशन कराया तो हमे 02 दिन बाद का मिला .अब हमारे पास दो दिन का समय खाली था .और दिल्ली पहले भी अनेको बार पहले भी घूम चुके थे तो उस दिन करोलबाग ,पालिकाबाज़ार ,चांदनीचौक आदि घूम आये ,साथ ही हमने चूँकि राजस्थान कभी नही गये थे के बारे में टूर और ट्रेवल्स से जुड़े लोगो से जानकारी प्राप्त कर अगले दिन जयपुर जाने का कार्यक्रम बनाया .दुसरे दिन सुबह हरियाणा राज्य परिवहन की बस में जयपुर जाने को निकल गये . सड़क बहुत ही शानदार था . बस पुरे रास्ते में सिर्फ एक ही जगह रूककर हमे जयपुर बस स्टैंड तक पहुचा दिया .जहा पर पहुचते ही हमने एक लॉज बुक किया .सामान वहा रखने के बाद ही हमने पास ही भोजनालय की जानकारी प्राप्त की ,और वहा पहुच गये भोजन प्राप्त करने के लिये.
राजस्थान अच्छे खाना और वेराईटी के लिए प्रसिद्ध है .
पेट पूजा हो जाने के बाद हमने जयपुर में घूमने वाली जगह की जानकारी प्राप्त कर एक औटो बुक किया . और आमेर किला जो की लगभग किलोमीटर थी , जाने को निकल पड़े ,तथा किला रामनिवास बाग़ और औटो वाले की मेहरबानी से अनेको एम्पोरियम तथा रास्ते में आने वाले एतिहासिक स्थलों को घूमते फिरते रात तक अपने ठहरने की जगह तक पहुच गये . 
दुसरे दिन सुबह हम तैयार होकर फिर नास्ता आदि करके निकल पड़े लक्ष्मी नारायण मंदिर हवामहल , और जंतर मंतर आदि देखने , 
लोगो ने हमे राजघराना के संग्रहालय सिटी पैलेस के बजे सरकारी म्यूजियम जाने की सलाह दी और हम टाँगे में चढकर अल्बर्ट म्यूजियम तक पहुच गये .यहा पर हमे ब्रिटिश राज्य में बने प्रवेश द्वार की टिकटिकी यंत्र ने प्रभावित किया ,जो की आपके अन्दर प्रवेश करने घुमाते ही आपकी संख्या को प्रदर्शित कर दिया .जो की आज कंप्यूटर युग में सिर्फ कल से बना साधारण सा यंत्र कमाल का लगा .

वैसे यहा पर रखी हुई 322 ईसा पूर्व की एक ममी जो की इन दिनों चर्चा में हैं. के बारे में भी पढ़कर देखने की उत्सुकता थी . खैर हम भी उस जगह तक पहुचे जहा पर  मिस्र के राजघराने के पुजारी परिवार की महिला तुतु की मम्मी रखी हुई   है. दरअसल, अल्बर्ट  म्यूजियम में पहुंचने वाले लोग यहां मिस्र के प्राचीन इतिहास और मौत के बाद के रहस्यों के साथ हकीकत से पर्दा उठाते ममी से जुड़े रहस्यों की जानकारी को लोग  कौतुहल से पढ़ रहे थे . इस ममी को 19वीं सदी के अंतिम दशक में मिस्र के काहिरा से जयपुर लाया गया था. यह तुतु नामक महिला की संरक्षित मृतदेह (डेडबॉडी) यानी ममी मिस्र के प्राचीन नगर पैनोपोलिस में अखमीन से प्राप्त हुई थी. यह 322 से 30 ईस्वी पूर्व के टौलोमाइक युग की बताई जाती है. यह महिला खेम नामक देव के उपासक पुरोहितों के परिवार की सदस्य थी. (फोटो- म्यूजियम में रखी ममी)अनुबिस देवता की पहचान उसके सियार वाले मुंह से की जाती है. यह श्मशान भूमि के देवता है, जो डेडबॉडी के संरक्षण और मृत आत्माओं को अपने पिता ओसिरिस, जो पाताल लोक के देवता है के पास ले जाते हैं. यहां मृत्यु के बाद जीवन के बारे में निर्णय होता है. मृत्यु शैय्या के नीचे पांच कुंडीय पात्र आंतों को एकत्रित करने के लिए अंकित है. यहीं चार प्रेतात्माओं (जिन्न) की आकृतियां भी दिखाई गई हैं.
 (फोटो- जयपुर के रामनिवास बाग में स्थित अलबर्ट म्यूजियम)