रविवार, 26 फ़रवरी 2017

भारत के इस इलाके की महिलायें रेलवे ट्रैक( पटरी ) की करती हैं पूजा
 रेलवे ट्रैक की पूजा करती महिलाएं
(शायदआपको अजीब लग रहा होगा लेकिन यह हकीकत है.)

अभी तक आपने लोगों को मंदिर या शिवालय या फिर धामों पर पूजा करते हुए हि देखा होगा पर बिहार में पटना के बाढ़ इलाके की महिलाएं रेलवे ट्रैक की पूजा करती हैं.
दरअसल यहा पर महिलाएं पति के दीर्घायु और बच्चों की लंबी आयु के लिए रेलवे ट्रैक की पूजा कती हैं. इन गांवों की महिलाएं रेलवे ट्रैक पर जल और फुल चढ़ाती है और फिर सिंदूर लगाकर अगरबती और कपूर से पूजा करती हैं.
गांव की महिलाओ का कहना है कि रेलवे ट्रैक को इसलिए पूजती हैैे ताकि ट्रैक पार करते वक्त कोई हादसा न हो. बाढ़ और अथमगोला स्टेशन के बीच गेट (पुल) नंबर 58 के पास के ग्रामीण प्रतिदिन इक्ट्ठा होते हैं और बच्चों को रेलवे ट्रैक पार कराकर स्कूल भेजते हैं. मिल्की चक, हरौली, धर्मपुरा राजपुरा, सर्वारपुर, नयाटोला, फुलेलपुर, और मेउरा के लोग रेलवे ट्रैक पार कर बाढ़ शहर पहुंचते हैं.
दरअसल गेट नंबर 58 के पास एक अंडरग्राउंड पुल था जिसके जरिए लोग दूसरी तरफ जाते थे लेकिन भूंकप के कारण यह पुल बंद हो गया है लिहाजा लोगों को अब मजबूरी में रेलवे ट्रैक पार करना पड़ता है. शहर जाने के लिए इन गांवों के लोगों को दूसरे रास्ते से 6 किमी घूमकर जाना पड़ता है. रेलवे ट्रैक पार करते समय हमेशा डर बना रहता है लिहाजा अब इलाके की महिलाएं रेलवे ट्रैक को पूजना शुरु कर दिया है ताकि उनके बच्चे सुरक्षित घर पहुंच सकें
ग्रामीण लोगो का कहना है कि ट्रेन आने पर लोगों को अलर्ट किया जाता है.  बताते हैं कि इन गांवोें का शहर से सीधा संपर्क नहीं होने के कारण मजबूरी में ये लोग रेलवे ट्रैक पार करते हैं..स्थानीय लोग यहां पर वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग रहे हैं.

गांव के लोग कई बार रेलव को पत्र लिखकर गुहार लगा चुके हैं. लेकिन किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई है. रेलवे ट्रैक पर पहले दुर्घटनाएं भी हो चुकी है लेकिन ना तो रेलवे प्रशासन और ना ही बिहार सरकार इनकी सुध ले रहा है.

शनिवार, 25 फ़रवरी 2017

भारत का एक अजूबा गांव : यहां दो घंटे पहले ही अस्त हो जाता है सूरज,  ( जानिए हैरान करता सच ),

डी.के.शर्मा सुंदरनगर रायपुर

जैसे की आप जानते है ,यह शास्वत सत्य है की सूरज के निकलने और अस्त होने का समय निर्धारित है . कम से कम भारत में कुछ मिनटो के फासले से हर जगह सुर्योदय और सूर्यास्त हो रहा है .
लेकिन मध्यप्रदेश मं कटनी जिला का एक गाव बाँधा – इमलाज़ में सूर्य देवता समय से करीब ०२ घंटा पहले हि बिदा ले लेता है .करीब ओ ४ बजे शाम के बाद ही इस गाव में आश्चर्य जनक तरीके से गोधुली बेला का एहसास होने लगता है . कटनी जिला मुख्यालय से 20 कि.मी.दूर विन्ध्याचल पर्वत के आँचल में बसा रीठी तहसील का यह गाव प्रकृति के अद्भुत नज़ारे से परिपूर्ण है . बाँधा और इमलाज़ गाव पहाड़ की तलहठी में बसा हुआ है .और सूर्य देवता प्रतिदिन शाम ०४ बजे ही पहाड़ की ओट में छिप जाते है ,जिससे वहां पर शाम सा माहोल बनने लगता है .
इस गाव की दिनचर्या अन्य गाव से अलग है , सुबह तो समय पर लोग अपना दिनचर्या ,और काम –धंधा प्रारंभ करते है .किन्तु शाम को अन्य गाव की अपेक्छा 02 घंटे पहले ही अपना काम धाम समेटना पड जाता है .चरवाहे ४ बजे से ही गाव की और कूच करना प्रारंभ कर देते है .वही मजदूर और किसान इसी समय को अपनी देहाडी समझ लेते है.किन्तु यह बात अलग है की घडी के अनुसार उन्हें 08 घंटे का समय तक मिहनत पूरा करना होता है .ग्रामवासियों के अनुसार चाहे कोई भी ऋतू हो शरद ,वर्षा या गर्मी कोई भी ऋतू हो वह की दिनचर्या पर कोई भी प्रभाव नही पड़ता है .
रोज़ शाम को 04 बजे के बाद 15 से 20 मिनट के अन्तराल में वह अँधेरा छाना शुरू हो जाता है . जबकि दुसरे गावो में उजाला रहता है .ग्रामवासियों के अनुसार भले ही प्रकृति का यह अनूठापन उनकी आदत में आ गया है . लेकिन शाम को 04 बजे के आसपास पहुचने वाले दुसरे गाव के पहुच्नेवाले लोग एकदम आश्चर्यचकित हो जाते है जब एकाएक अँधेरा छा जाता है . तो वह सोचने को विवश हो जाता है की यकाएक शाम जल्दी कैसे हो गयी .दरअसल गाव के पश्चिम भाग में उची पहाडीयो की श्रृंखला है ,जिसकी छाँव दिन में भी शाम का सा आभास देने लगता है बाँधा इमलाज़ गाव एक दुसरे से लगे हुए है और ये गाव ऊचें पहाड़ की तलहटी में बसे हुए है .

और ये रहा वैज्ञानिक पहलु

भूगोल शास्त्र के जानकार डॉ.एस.बी.भरतद्वाज़ के अनुसार पृथ्वी अपनी धुरी पर घुमती है.. यह धुरी एक काल्पनिक रेखा है .जो की उत्तर ध्रूव से दक्षिण धृव तक गुजरती है .हमे पृथ्वी के घुमने का एहसास भी नही होता क्युकी वः एक ही गति से घुमती रहती है .और इसी क्रिया के कारण दिन और रात होता है .बाँधा और इमलाज़ गाव पर्वत की तलहटी में बसा हुवा होने के कारण सूरज जल्दी छिप जाता है बाँधा इमलाज़ गाव एक दुसरे से लगे हुए है और ये गाव ऊचें पहाड़ की तलहटी में बसे हुए है . गाव पश्चिम में उची पर्वत श्रृंखला है , , की शाम को ०४ बजे से ही शाम होने का आभास कराने लगता है. शाम ०४ बजे के बाद सूर्य की किरण शीतल हो जाती है जिससे इस गाव में ठण्ड का आभास होता है .गाव के लोग भले ही ०१ से २ घंटे पहले अपनी दिनचर्या भले ही समेत लेवे .पर सूर्यास्त का समय वही माना जावेगा जो की उस मौसम में निर्धारित है


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