शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

स्‍पेन- मेक्सिकों में प्राप्‍त शैलाश्रयों के समकालीन तीस हज़ार ईसा पूर्व की  सिंघनपुर गुफा छत्तीसगढ़

नृत्यांगना के चित्र केवल इसी शैलआश्रयों में पाए गये है ,? 


सिंघनपुर गुफा यह रायगढ़ जिला मुख्‍यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. व रायगढ़ तथा खरसिया के बीच भूपदेवपुर रेलवे स्‍टेशन से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

सिंघनपुर में विश्‍व की सबसे प्राचीनतम मानव शैलाश्रय स्थित है. यह गुफा 30 हजार साल पुरानी है. यहां पाषाणकालीन अवशेष पाये गए हैं तथा छत्‍तीसगढ़ में प्राचीनतम मानव निवासके प्रमाण मिले हैं. यह गुफा स्‍पेन- मेक्सिकों में प्राप्‍त शैलाश्रयों के समकालीन माने जाते हैं.पुरातत्ववेत्तास्व. एंडरसन ने १९१२ मे इसे प्रथम बार देखा था .और एनसाइक्लोपिडिया.ब्रिटेनिका  के 13 वे अंक मे पहली बार यहां की सुचना प्रकाशित हुई .१९१८ के इंडियन पेंटिंग के अंक मे इसके शैल चित्रों के  बारे मे  प्रकाशित होते ही लोग इसकी और आकर्षित होने लगे . आदिमानव के द्वारा छोड़े गए औजार गुफा मे प्राप्त हड्डिया  उनके रहन सहन  इन्हें महानदी घाटी मे पाषाण कल और उत्तर  पाषाण काल से निवास करना बताते है .
यहां प्राप्‍त प्रागैतिहासिक कालीन तीन गुफाएं लगभग 300 मीटर लंबी तथा 7 फुट उंची है. इस गुफा के के बाहय दीवारों पर पशु एवं मानव की आकृतियां बनी हुई है, शिकार के दृश्‍य भी बने हु ए हैं, जो बहुत ही सुंदर लगते हैं.
देश में अब तक प्राप्‍त शैलाश्रयों में प्रागैतिहासिक मानव तथा नृत्यांगना के चित्र केवल इसी शैलआश्रयों में प्राप्‍त है.
लोग  रायगढ़ जिले  के गुफाओ जंगल के आसपास पाषाण काल व उत्तर
 पाषाण काल के पहले से रहते आ रहे है  क्युकी सबसे अधिक आदिमानव के रहने का संकेत आसपासके एरिया मे मिला है .शैल चित्रों के अध्ययन से इस एरिया मे डाइनासोर जैसे प्रगेतिहासिक प्राणी के भी निवास करने की संकेत मिलते है .साथ ही आसपास के और गुफाओ  मे जिराफ ,शतुरमुर्ग से मिलते जुलते,व हाथी ,जंगली विशाल भैसा  जैसे प्राणी के भी चित्र पाये गए है .याने की आसपास  के सारे जंगल मे इनके निवास थे .
स्व.अमरनाथ दत्ता ने विस्तृत सर्वेक्षण कर ए फ्यू  रेलिक्स एंड द राक्स पेंटिंगऑफ़ सिंघनपुर   व श्री लोचन प्रसाद पांडेय जी ने महाकोशल हिस्टोरिकल पेपर्स मे यहां के तथा आसपास के सारे गुफाओ के  ऐतिहासिक महत्त्व के बारे मे प्रकाशन किया था .
लोकभ्रान्ति है की इस गुफा मे खजाना है .सिंघनपुर गांव के लोगो का कहना है कि यह जगह किसी ज़माने में साधू संतो का अखाडा रहा है। ये सभी सन्त सिद्धि प्राप्त कर चुके थे। जो आज भी इस गुफा में तपस्या करते है .

गुफा में मौजूद बड़े मधुमक्खियों को अदृश्य संतो का अनुचर मानने वाले ग्रामीणों की भी कमी नही है।उनका मानना है की बुरी नीयत से गुफा में प्रवेश करने वालों संतो की आत्माए आज भी लोगो को मधुमक्खियों के रूप मे यही दंड देते है।
इस गुफा में कई ऐसे सवाल है। जिनके ऊपर कई धारणाये सदियो से जस की तस चली आरही है। इस गुफा में छुपे खजाने को लेने और बुरी मनसा से आने वाले लोगो की मौत किसी न किसी कारणवश हो जाती है।
यहाँ की प्रचलित कहानियों पर नज़र डाले तो खजाने की तलाश में अंग्रेज अफसर राबर्टसन से लेकर रायगढ़ राजघराने के राजा लोकेश बहादुर सिंह की अस्वाभाविक मौत ने गुफा के रहस्य को और मजबूत करने का ही काम किया है।
सदिया बीत जाने के बाद भी गुफा का रहस्य अपनी ओर पर्यटकों को आकर्षित करती है। क्या आप नही आना चाहेंगे इस जगह पर,,,,,,?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें